बालेश्वर। ओडिशा के बालेश्वर में हुए ट्रेन दुर्घटना में 280 लोगों की मौत हो गई। वहीं, मौत के आंकड़े और दुर्घटनास्थल की तस्वीरें हादसे की भयावहता की कहानी कह रहे हैं। हादसे के एक चश्मदीद ने आंखों देखी का जो खौफनाक मंजर साझा किया, वो दिल दहलाने वाला है।
बालेश्वर के बाहनगा में हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे के चश्मदीद ललित भटेर ने दैनिक जागरण से बातचीत की। जिसमें उन्होंने हादसे की आखों देखी हाल बयां की।
उन्होंने बताया कि हम 20 लोग तीन कोच A1, A2 और B1 और B2 में सवार थे। शाम के समय हम लोग चाय पी रहे थे, तभी अचानक जोर का झटका लगा। कुछ समझ पाते, इससे पहले तेज आवाज के साथ तब तक ट्रेन पटरी से उतर चुकी थी।
उन्होंने इस दर्दनाक हादसे का खौफनाक मंजर याद करते हुए कहा कि आवाज के साथ ही हममें से कुछ लोग सीट से नीचे गिर गए। अन्य कोच से चीत्कारें और रोने की आवाज सुनाई देने लगी। चारों तरफ का नजारा देख हमलोग सहम गए। सभी सिर्फ भगवान को याद कर रहे थे।
पैदल चलकर कटक पहुंचे
ललित भटेर ने बताया कि ट्रेन के रुकते ही हम सब उतरे और अपना सामान उतारा। हादसे वाले स्थान पर अंधेरा था, लोगों के चित्कार की आवाजें सुनाई दे रही थी। किसी तरह से हम घायल अवस्था में धीरे-धीरे तीन घंटे तक पैदल चलकर रोड तक पहुंचे और फिर निजी वाहन से कटक आए हैं।
स्थानीय लोगों ने काफी की मदद
ललित कहते हैं कि हादसे की आवाज सुनकर स्थानीय लोग पहुंचे और लोगों ने घायल यात्रियों को बाहर निकालने में काफी मदद की। हालांकि, ट्रेन दुर्घटना के कुछ देर बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और राहत बचाव में जुट गई।
ललित के साथ यात्रा करने वालों में मंजू देवी चोरड़िया, ललिता भटेरा, एलिस सेठिया, भानु प्रताप चोरड़िया, रागिनी चोरड़िया, राखी चोरड़िया, अभिषेक खटेड़, वंदना खटेड़, पुनित बोथरा, अजीत बोथरा, चांदिनी बोथरा, रक्षा चोरड़िया, महक चोरड़िया, राजेश चोरड़िया प्रमुख शामिल थे। ये सभी लोग कोलकाता में रहते हैं।
कोलकाता से ओडिशा घूमने आया था परिवार
ललित का परिवार कोलकाता से ओडिशा घुमने आया था। ललित के चेहरे पर हादसे की भयावहता पढ़ी जा सकतै है। उन्होंने कहा कि इस तरह का हादसा हमने इससे पहले कभी नहीं देखा था।