नई दिल्ली. इसे किस्मत कहें या कुछ और ये तो नहीं पता लेकिन ऋषभ पंत का जिस कार में एक्सीडेंट हुआ उसी कार में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का भी एक्सीडेंट हुआ था. इसी एक्सीडेंट में साइरस मिस्त्री की जान चली गई थी. वहीं ऋषभ पंत के साथ हुए हादसे में वे गंभीर तौर पर घायल हैं और देहरादून के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. उनके सिर और पैर पर गंभीर चोट आई है. दोनों ही हादसों में मर्सिडीज बेंज जीएलसी एसयूवी शामिल रही. दोनों ही हादसों में रफ्तार कारण बनी और डिवाइडर से कार टकराई.
ऋषभ पंत के हादसे को देखा जाए तो उनको नींद आ जाने के चलते ये हादसा हुआ. वहीं साइरस मिस्त्री की कार का हादसा तेज रफ्तार और घुमाव पर गाड़ी को न संभाल पाने के चलते हुआ. साइरस मिस्त्री के एक्सीडेंट ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं और मर्सिडीज कंपनी पर भी सवाल उठे. जिसके बाद कंपनी ने हादसे की जांच अपने स्तर पर भी की और कार की जांच के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं.
दो हादसे, तो क्या कार में कोई खराबी है
साइरस मिस्त्री के निधन के बाद कुछ लोगों ने मर्सिडीज बेंज की गाड़ियों पर भी सवाल उठाया. लेकिन कंपनी ने इस बात को सिरे से नकार दिया और एक्सीडेंट की जांच की. इस दौरान ये पाया गया कि साइरस मिस्त्री की कार का हादसा जिस दौरान हुआ उस समय कार 100 किमी. की रफ्तार के आसपास थी. डिवाइडर से टकराने से केवल 5 सेकेंड पहले ब्रेक लगाने शुरू किए गए जिसके बाद करीब 80 किमी. की रफ्तार में गाड़ी टकराई. इस स्थिति में किसी भी कार में कोई पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रह सकता है. इस रिपोर्ट के बाद मर्सिडीज बेंज को ऑटो एक्सपर्ट्स ने क्लीन चिट दी. अब ऋषभ पंत के हादसे की बात की जाए तो ये स्पष्ट नहीं है कि उनकी रफ्तार कितनी थी हालांकि वे भी काफी तेज रफ्तार में थे. जिसके चलते कार को काफी डैमेज हुआ साथ ही पंत को भी चोट आई.
आखिर क्यों होते हैं ऐसे हादसे
ऐसे हादसे होने का सबसे बड़ा कारण ऐसी कारों की पावर होती है. मर्सिडीज बेंज जीएलसी भी काफी पावरफुल कार है और टॉर्क ज्यादा होने के चलते ये तेजी से रफ्तार पकड़ सकती है.
दूसरा कारण केबिन स्पेस का साइलेंट होना भी होता है. इन कारों की डेंपिंग ऐसी की जाती है कि इंजन नॉइस या किसी भी तरह की बाहरी आवाज बहुत ही कम कार में आती है. ऐसे में गति का सही अनुमान लगना भी मुश्किल होता है. साथ ही नींद आने जैसी समस्याएं भी होती हैं.
किसी भी कार के लिए एक सेफ स्पीड मैक्सिम 80 किमी. मानी गई है. लेकिन इन कारों में ये स्पीड तीसरे गियर पर ही आ जाती है. ऐसे में ये काफी ज्यादा स्पीड तक जाती हैं.