पंजाब में कोरोना वायरस महामारी के बाद गैरकानूनी इमिग्रेशन के करोड़ों रुपए के कारोबार में 40 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. गैरकानूनी इमिग्रेशन का कारोबार कर रहे लोग पंजाब के युवाओं की हताशा को भुना रहे हैं और उनके भविष्य को सुधारने का दावा कर उनके ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भेज रहे हैं. इस रैकेट पर नकेल कसने वाली पंजाब पुलिस के सूत्रों ने न्यूज़9 प्लस से इसकी पुष्टि की है.
हाल ही में गैरकानूनी इमिग्रेशन के कारोबार में आई तेजी को लेकर जालंधन के डीआईजी स्वपन शर्मा ने न्यूज़9 प्लस से बात की. उन्होंने कहा, हां, इसमें अचानक तेजी आई है, विशेष रूप से पंजाब के दोआबा, जालंधर, नवाशहर, होशियारपुर और कपूरथला जैसे शहरों से बड़ी संख्या में गैरकानूनी इमिग्रेशन हो रहा है. एजेंट पंजाब से लोगों को लाने के लिए दुबई, साइप्रस, ग्वाटेमाला और मैक्सिको रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन रूट्स से विदेश पहुंचने के लिए एक शख्स की ओर से कम से कम 35-40 लाख का खर्च किए जाते हैं और लेनदेन या तो नकद या हवाला के जरिए किया जाता है.
पंजाब में लोग हताश हैं- एजेंट
जिन एजेंटों के पास लाइसेंस है और वे कानूनी रूप से अपने ग्राहकों को दूसरे देशों में भेज रहे हैं, उन्होंने न्यूज़9 प्लस को बताया कि पंजाब में लोग हताश हैं. खासकर वे जो आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहते. वे टेक्सास में एक आंटी या बर्मिंघम में एक चाचा के साथ रहते हुए विदेश में नौकरियाँ करने की ख्वाहिश रखते हैं.
जालंधर में ओवरसीज कंसल्टेंसी की अर्पिता बताती हैं कि पंजाब में मौजूद एजेंटअवैध रूप से लोगों को बाहर भेजने के लिए अलग-अलग तरह के रैकेट का इस्तेमाल करते हैं. वह कहती हैं, पंजाब के युवा 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई नहीं करना चाहते. वे आईईएलटीएस परीक्षा को पास करने के लिए अंग्रेजी सीखने के लिए भी मेहनत नहीं करना चाहते हैं, जो किसी भी अंग्रेजी बोलने वाले देश के लिए वीजा प्रक्रिया के आवेदन के लिए न्यूनतम आवश्यकता है. उनके पास खेती की जमीन है, जिसे वह बेच देते हैं. ऐसे लोग विशेष रूप से कनाडा में एक शानदार जीवन जीने के लिए एजेंटों को रिश्वत देना चाहते हैं.’
लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हैं एजेंट
एजेंट कनाडा या ऑस्ट्रेलिया के निजी कॉलेजों से नकली एडमिशन फॉर्म लेकर आते हैं. यह इंटरनेट पर भी मौजूद रहते हैं. इन फॉर्म के जरिए लोग वहां पहुंच जाते हैं. बाद में उनको बताया जाता है कि कॉलेज बंद हो गया है. इसके बाद यह लोग कुछ मामूली काम करने के बाद ठहरने के लिए जगहों के लिए आवेदन करते हैं. लेकिन उन्हें खारिज कर दिया जाता है. बाद में इनको डिपोर्ट कर दिया जाता है.
पर्यटक वीजा का लालच देते हैं एजेंट
एजेंट अपने बैंक खाते की जानकारी और वैवाहिक स्थिति दिखाकर लोगों को पर्यटक वीजा लेने का लालच देते हैं. जैसे ही वह विदेश पहुंचते हैं, वह अपने प्रवास का विस्तार करना शुरू कर देते हैं और नौकरी कर लेते हैं, क्योंकि इन देशों को सस्ते श्रम की जरूरत होती है. वह इस तथ्य पर भरोसा करते हैं कि कनाडाई या ऑस्ट्रेलियाई सरकार हर पर्यटक को हर समय ट्रैक नहीं करेगी. एजेंट इन देशों की कंपनियों से फर्जी वर्क परमिट पेपर भी बनवाते हैं और एक बार जब उम्मीदवार संबंधित देश में पहुंच जाता है तो वे कहीं और काम करना शुरू कर देते हैं. यह बेहद आकर्षक होता है.
क्या है द डंकी रूट?
द डंकी रूट यानी गैरकानूनी रास्ते से विदेश जाना. जिस शख्स के पास कोई काम नहीं होता या विदेश जाने का कोई रास्ता नहीं होता, ऐसे लोगों से एजेंट गैरकानूनी रास्ते चुनने को कहते हैं. ऐसे लोगों के लिए आव्रजन काउंटरों पर वीजा-ऑन-अराइवल है. हालांकि द डंकी रूट को खतरनाक माना जाता है. फिर भी लोग इस रूट का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि वह हताश होते हैं या उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता.
अमेरिका और ब्रिटेन के रास्ते बहुत कठिनाइयों से भरे होते हैं. यहां तक पहुंचने के लिए छह महीने से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है. स्पेशल सीपी (स्पेशल सेल) एसएच धालीवाल ने न्यूज़9 से बातचीत में अमेरिका पहुंचने के लिए लोगों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले रूट की जानकारी दी. उन्होंने कहा, ”यह लोग भारत से पहले दुबई जाते हैं, जहां वीजा ऑन अराइवल होता है, जिससे उनका आना-जाना आसान हो जाता है. फिर वह कजाकिस्तान में अल्माटी चले जाते हैं. उसके बाद वह तुर्की में इस्तांबुल के लिए टिकट बुक करते हैं, जहां वह एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलते हैं. फिर वह दक्षिण अमेरिका में सूरीनाम के लिए उड़ान भरते हैं, जहां त्रिनिदाद और टोबैगो में पोर्ट ऑफ स्पेन के लिए पेपर वीजा आसानी से जारी किया जाता है. उसके बाद वह अल सल्वाडोर और फिर ग्वाटेमाला चले जाते हैं, जहां वह सड़क और नावों के माध्यम से मैक्सिको सीमा तक पहुंचते हैं. ग्वाटेमाला में वह एजेंट्स को 40-45 लाख का पेमेंट करते हैं. लेकिन मेक्सिको से यूएसए जाने के लिए उन्हें 7 लाख ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं. स्थिति का पता लगाने और संयुक्त राज्य अमेरिका-मेक्सिको सीमा क्षेत्रों में विभिन्न खामियों का अध्ययन करने के लिए वह कुछ महीनों के लिए मेक्सिको में रुकते हैं और फिर वे एक चाल चलते हैं, जो एरिजोना रेगिस्तान के माध्यम से या जंगलों या दलदली भूमि के माध्यम से हो सकता है.
पंजाब में नौकरियां नहीं- विदेश जाने वाले कैंडिडेट
आईईटीएस क्लास में शामिल होने के लिए आने वाले कैंडिडेट्स का कहना है कि पंजाब में कोई औद्योगिक क्षेत्र या नौकरी की कोई संभावना नहीं है. जालंधर में आईईएलटीएस क्लास कर रही सुरीना की इच्छा ऑस्ट्रेलिया जाने और अपने पति को जीवनसाथी वीजा पर साथ ले जाने की है. वह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि अगर वह शिक्षा वीजा का विकल्प चुनती है तो वह ऑस्ट्रेलिया में क्या अध्ययन करेगी, लेकिन वह भारत से दूर जाने के लिए बेताब है. मेरे एजेंट ने मुझे आईईएलटीएस पाठ्यक्रम चुनने के लिए कहा है, क्योंकि मेरे पड़ोस के लगभग सभी लोग विदेश चले गए हैं और अपने लिए अच्छा कर रहे हैं. मेरे एजेंट ने अभी तक मेरा मार्गदर्शन नहीं किया है कि कोर्स पूरा करने के बाद मुझे क्या करना है, लेकिन मुझे अपने एजेंट पर पूरा भरोसा है.”
खालिस्तान आंदोलन में कट्टरपंथों में आई तेजी और अपने माता-पिता को पैसे भेजने वाले पड़ोसियों के प्रभाव ने पंजाब के युवाओं को आश्वस्त किया है कि ब्रिटेन, अमेरिका या कनाडा पहुंचने से ही उनका उद्धार होगा. पंजाब में उच्च शिक्षा श्रेणी में ड्रॉपआउट दर में भी वृद्धि हुई है, क्योंकि छात्रों ने उच्च शिक्षा में रुचि खो दी है, खासकर कक्षा 10 के बाद. पंजाब पुलिस के सूत्रों ने ड्रॉपआउट दर में कम से कम 20-25% की वृद्धि की पुष्टि की है. इसके अलावा पंजाब राज्य के भीतर प्रवास काफी बढ़ गया है, क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए अपनी जमीन या गांव के घर बेच देते हैं और फिर अपार्टमेंट परिसरों में चले जाते हैं.
पुलिस ने क्या किया है?
जालंधर का बस स्टैंड इलाके में 946 से ज्यादा इमिग्रेशन कंपनियां, आईईएलटीएस संस्थान और हवाई टिकट की दुकानें हैं. इसे पंजाब के एनआरआई हब के रूप में भी जाना जाता है. इस क्षेत्र के एसएचओ को हर महीने कम से कम दो शिकायतें मिलती हैं कि गैरकानूनी इमिग्रेशन से निपटने वाले एजेंटों की ओर से लोगों को ठगा जा रहा है.
हाल ही में उन्होंने एक कार्यालय पर छापा मारा, जिसने छात्रों को फर्जी शिक्षा वीजा पर कनाडा भेजा और उन छात्रों को अब निर्वासन का सामना करना पड़ा. यहां ऐसे मामले यहां होते रहते हैं. बस स्टैंड क्षेत्र में लगभग तीन गुना ज्यादा अवैध अप्रवासी एजेंट हैं. डीआईजी जालंधर स्वपन शर्मा ने इस खतरे से निपटने के बारे में पूछे जाने पर कहा, “पंजाब के लोग जिस दर से विदेश जाना चाहते हैं, उसे देखते हुए केवल शिकायत आधारित गिरफ्तारी ही की जा सकती है.जब भी हमें शिकायत मिलती है, हम जांच की तह तक जाते हैं. या तो हम यह सुनिश्चित करें कि एजेंट द्वारा ठगी गई राशि का पूरा भुगतान उम्मीदवार को किया जाए या उसी के अनुसार गिरफ्तारी की जाए.”