गोपालगंज. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की गुरुवार को जेल से रिहाई हो गये हैं. आनंद मोहन की रिहाई के बाद सियासी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ये सही फैसला है, या फिर गलत. तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया दलित समुदाय से थे. वो गोपालगंज के डीएम थे. 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे, तभी भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी. घटना के वक्त डीएम जी कृष्णैया की एम्बेस्डर कार ड्राइवर दीपक कुमार चला रहे थे.
दीपक कुमार गोपालगंज के अधिवक्ता नगर मोहल्ले के रहने वाले हैं और आज भी गोपालगंज के डीएम की गाड़ी चलाते हैं. न्यूज 18 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक डीएम की हत्या के दौरान दीपक को भी गंभीर चोटें आईं थीं. जी कृष्णैया की हत्या में चश्मदीद दीपक कुमार ने को अहम जानकारी देते हुए खुलासा किया. जानिए, डीएम जी कृष्णैया की हत्या के बाद चश्मदीद दीपक कुमार की जुबानी.
वैशाली मीटिंग में निकले थें डीएम
तारीख पांच दिसंबर. साल-1994 था. जब गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया अपनी एंबेसडर कार से वैशाली मीटिंग में जा रहे थें. गाड़ी में डीएम बीच में बैठे थें. आगे उनका बॉर्डीगार्ड और स्टेयरिंग पर दीपक कुमार थे. डीएम की कार मुजफ्फरपुर में सदर थाने के खबरा गांव में पहुंची तो वहां एनएच-28 जाम कर सड़क पर उतरी भीड़ ने डीएम की गाड़ी देखते ही हमला शुरू कर दिया. दीपक कुमार बताते हैं कि भीड़ में करीब पांच हजार से ज्यादा लोग शामिल थे. हालात को देख ड्राइवर दीपक कुमार ने गाड़ी को बैक गियर में लिया और पीछे भगाने लगे, लेकिन डीएम जी कृष्णैया नहीं ड्राइवर को गाड़ी रोकने का आदेश दिया.
काश! दीपक की बात मान लिए होते डीएम साहब
खौफनाक मंजर को याद कर दीपक कुमार आज भी सहम जाते हैं. दीपक बताते हैं कि जब भीड़ ने हमला शुरू किया तो गाड़ी को बैक गियर में लेकर भागने लगे. भीड़ उनका पीछा कर रही थी, लेकिन साहब ने उनकी गाड़ी रोकवा दी. गाड़ी रुकते ही डीएम बाहर निकलने लगे. तब दीपक ने कहा “साहेब, बाहर मत जाओ…बाहर मत निकलिए, कई बार चिल्लाने के बाद भी डीएम साहब नहीं माने. वो अपना फर्ज निभाने के चक्कर में पड़े रहे. डीएम जैसे ही गाड़ी से बाहर उतरे, भीड़ ने उनपर हमला कर दिया.
खून से लथपथ डीएम को अस्पताल पहुंचाया
दीपक कुमार बताते हैं कि जब भीड़ ने उन पर हमला किया तब डीएम, उनके बॉर्डीगार्ड और खुद तीनों अलग-अलग जगह खून से लथपथ पड़े थें. डीएम के बॉडीगार्ड टीएम हेम्ब्रम को बाहर घसीटा गया. होश में आने पर दीपक ने डीएम को उठाया और अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां इलाज के दौरान जी कृष्णैया की मौत हो गयी. डीएम की हत्या के मामले में मुजफ्फरपुर के सदर थाने में कांड संख्या 216/1994 है. इस घटना में चार पन्नों की प्राथमिकी में 36 लोगों का संयुक्त परीक्षण कराया गया था. लगभग 29 साल बाद एकमात्र सजायाफ्ता गैंगस्टर और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को नियमों में बदलाव कर गुरुवार की अहले सुबह रिहा कर दिया गया है
आज भी दीपक को कान से कम सुनाई देता है
डीएम के ड्राइवर दीपक कुमार बताते हैं कि भीड़ ने उन पर जिस तरह से हमला किया, वह जख्म आज भी नहीं भरा है. दीपक कुमार बताते हैं कि उन्हें सिर और कान-नाक में अधिक चोट आई थी. कान में इस कदर चोट लगी कि उन्हें सुनाई कम देता है. दीपक ने कहा कि इस घटना के बाद से काफी दहशत में रहता हूं, जब भी किसी अफसर को लेकर जाता हूं तो सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहता हूं. वह कहते हैं कि अब वह ऐसे हालात में कभी अफसरों की बात नहीं मानने वाले हैं. वहीं, गोपालगंज में जी कृष्णैया दूसरे डीएम हुए, जिन्होंने अपनी ड्यूटी और फर्ज को पूरा करने के लिए बलिदान दिया.