चंदा कोचर और दीपक कोचर के बाद अब सीबीआई ने वेणुगोपाल धूत को भी गिरफ्तार कर लिया है. चंदा कोचर (Chanda Kochhar) नौ साल तक ICICI बैंक की सीईओ और एमडी रहीं हैं. दीपक कोचर (Deepak Kochhar) उनके पति हैं. जबकि, वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक हैं.
चंदा कोचर पर आरोप है कि बैंक की सीईओ और एमडी रहते हुए उन्होंने नियमों को ताक पर रखते हुए वीडियोकॉन को लोन दिया. ऐसा उन्होंने अपने पति दीपक कोचर को फायदा पहुंचाने के लिए किया. ये मामला मार्च 2018 में सामने आया था. मामले के सामने आने के बाद चंदा कोचर को बैंक की सीईओ और एमडी पद से इस्तीफा देना पड़ा था. चंदा कोचर को 2009 में बैंक ने सीईओ और एमडी बनाया था. इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्णा को सौंपी गई थी. इस जांच में चंदा कोचर को दोषी पाया गया था. जांच में सामने आया था कि चंदा कोचर ने ICICI बैंक की कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन भी किया गया था. इसके बाद 4 अक्टूबर 2018 को ICICI बैंक की एमडी और सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था. इस पूरे घोटाले की कहानी क्या है? पहले लोन और फिर निवेश का ये पूरा खेल कैसे हुआ? चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत की क्या भूमिका है? समझते हैं…
क्या है घोटाले की पूरी कहानी?
– 2009 में चंदा कोचर को ICICI बैंक की एमडी और सीईओ बनाया गया. उसी साल बैंक की कमेटी ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (VIEL) को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया.
– बैंक की जिस कमेटी ने वीडियोकॉन का लोन मंजूर किया था, उसकी हेड चंदा कोचर थीं. लोन मिलने के बाद वीडियोकॉन ने नूपॉवर रिन्यूएबल लिमिटेड (NuPower Renewable Limited) में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया.
– ये निवेश वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी (Supreme Energy) के जरिए किया गया था. सुप्रीम एनर्जी के 99 फीसदी से ज्यादा शेयर वेणुगोपाल धूत के पास थे.
– नूपॉवर रिन्यूएबल कंपनी की शुरुआत दीपक कोचर (चंदा कोचर के पति) और वेणुगोपाल धूत ने मिलकर की थी. 2009 में वेणुगोपाल धूत ने नूपॉवर रिन्यूएबल के सारे शेयर दीपक कोचर के नाम कर दिए थे.
कैसे हुआ ये पूरा खेल?
– सीबीआई की FIR के मुताबिक, ICICI बैंक की एमडी और सीईओ रहते हुए चंदा कोचर ने अपने पद का गलत फायदा उठाया और गैर-कानूनी तरीके से वीडियोकॉन को लोन दिया.
– सीबीआई के मुताबिक, बैंक की कमेटी ने 26 अगस्त 2009 को वीडियोकॉन को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया. 7 सितंबर 2009 को ये लोन वीडियोकॉन को दिया गया. अगले ही दिन यानी 8 सितंबर को वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन से 64 करोड़ रुपये नूपॉवर रिन्यूएबल को दिए.
– इन 300 करोड़ के अलावा ICICI बैंक ने 2009 से 2011 के बीच वीडियोकॉन ग्रुप को पांच अलग-अलग लोन के जरिए 1,575 करोड़ रुपये दिए.
– न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चंदा कोचर के एमडी और सीईओ रहते हुए ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था. ये लोन बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, आरबीआई की गाइडलाइंस और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन कर दिया गया.
तीनों की क्या है भूमिका?
सीबीआई दो साल से इस मामले की जांच कर रही थी. सूत्रों ने बताया कि वेणुगोपाल धूत के बैंक अकाउंट स्टेटमेंट और कंपनियों की बुक से पता चलता है कि दीपक कोचर की कंपनी को 64 करोड़ रुपये का लोन रिश्वत के अलावा और कुछ नहीं था.
सीबीआई से जुड़े सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि ICICI बैंक से लोन पास होने के बदले में वेणुगोपाल धूत ने 64 करोड़ रुपये दीपक कोचर की कंपनी को दिए थे. इसलिए ये रिश्वत है.सीबीआई सूत्रों का दावा है कि उनके पास ये साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत ने मिलकर ये पूरी साजिश रची.