मुंबई: मनोज बाजपेयी अपनी लेटेस्ट रिलीज हुई फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को लेकर सुर्खियों में हैं। एक बार फिर मनोज बाजपेयी ने अपनी उम्दा एक्टिंग से हर किसी को दीवाना बना दिया है। हाल ही में, मनोज बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष के दिनों को याद किया है, जब उन्हें सिर्फ उनके लुक्स की वजह से फिल्मों से रिजेक्ट कर दिया गया।
मनोज बाजपेयी ने क्यों झेला रिजेक्शन?
मनोज बाजपेयी ने एक हालिया इंटरव्यू में बताया कि ऑडिशन के दौरान कास्टिंग एजेंट्स उनके साथ कैसा बर्ताव करते थे। इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में एक्टर ने कहा-
“चेहरे पर ही बोल देते थे। वैसे अच्छा हुआ बोले देते थे। इससे मुझे बड़ा स्टार बनने की बड़ी उम्मीदें नहीं रखने में मदद मिली। लोग कमेंट करते थे कि तुम न हीरो लगते हो और ना विलेन। इसलिए वे हमेशा मुझे खलनायक के सहायक के रूप में रखते थे, हीरो के दोस्त के रूप में भी कास्ट नहीं करते थे।”
खुद ही फिल्मों को प्रमोट करते हैं मनोज
मनोज बाजपेयी ने ये भी कहा कि वह सालों से अपनी फिल्म का प्रमोशन खुद ही कर रहे हैं, क्योंकि वह इतना खर्चा नहीं झेल सकते। एक्टर ने कहा-
“मेरे पास कभी भी कोई प्रचारक नहीं रहा। कई सालों से मैंने अपनी फिल्मों की मार्केटिंग खुद की है। चाहे भोंसले हो, गली गुलियां हों या अलीगढ़, मैंने खुद पीआर किया। मुझे पता है कि मार्केट में मुझे क्या और कैसे करना है। ये युवा हमेशा अपनी योजनाओं को बदलते रहते हैं। मेरे पास कई सालों तक कोई टीम या सहायक भी नहीं थी, क्योंकि इंडेपेंडेंट फिल्में इतना खर्चा नहीं उठा सकती हैं।”
मनोज बाजपेयी का वर्क फ्रंट
साल 1994 में आई फिल्म ‘द्रोह काल’ से डेब्यू करने वाले मनोज बाजपेयी को इंडस्ट्री में 3 दशक हो गए हैं। उन्होंने ‘सत्या’ (1998), ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ (2012), ‘अलीगढ़’ (2015) जैसी कई फिल्मों में काम कर इंडस्ट्री में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। उन्हें ‘सत्या’, ‘पिंजर’ (2003) और ‘भोंसले’ (2018) के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला है। 23 मई 2023 को मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ जी5 पर रिलीज हुई थी।