देश में एयरलाइन्स को पायलटों की बड़ी संख्या में जरूरत है. पायलटों की डिमांड तीन साल के सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच गई है.
देश में एयरलाइन्स को पायलटों की बड़ी संख्या में जरूरत है. पायलटों की डिमांड तीन साल के सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच गई है. इसकी वजह है कि एयरलाइन्स महामारी के दौरान घटे वर्कफोर्स की भरपाई करने की कोशिश कर रही हैं. हवाई यात्रा में भी तेजी से रिकवरी हुई है. इसकी वजह से भी पायलटों की डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर आ गई है. ज्यादा डिमांड सीनियर कमांडर और ट्रेनर की है, जिनको सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है.
एयरलाइन्स की विस्तार की योजना
एयर इंडिया की विस्तार को लेकर बड़ी योजना भी है. पिछले महीने एयरलाइन ने रिकॉर्ड 540 एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया है, जो मॉडर्न एविएशन के इतिहास में जेट का सबसे बड़ा ऑर्डर है. एयरलाइन की अगले डेढ़ साल में 90 से ज्यादा विमानों को बेड़े में शामिल करने की योजना है. ऐसे में, एयरलाइन पायलटों की भारी किल्लत का सामना कर रही है.
कमी के स्तर का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अपने बोइंग 777 एयरक्राफ्ट के लिए एक्सपेट कमांडर को नौकरी पर रखने के लिए 21,000 डॉलर की मंथली सैलरी पेश कर रही है.
एयरलाइन्स कर रहीं ये उपाय
भारत की तीन सबसे बड़ी एयरलाइन्स- मार्केट लीडर इंडिगो, टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया और भारत की सबसे नई एयरलाइन अकासा एयर की साथ मिलकर इस साल एक हजार से ज्यादा पायलटों को नौकरी पर रखने की योजना है. यह 2018 के बाद सबसे ज्यादा आंकड़ा है. इंडिगो की अपने बेड़े में तेजी से एयरक्राफ्ट को शामिल करने की वजह से भी पायलटों के लिए नियुक्ति तेजी से चल रही है.
एयरबस A320 और बोइंग 737 के लिए, एयरलाइन फर्स्ट ऑफिसर को तेजी से अपग्रेड करके कमांडर बनाने पर काम कर रही है. इसके अलावा वह अपनी सहयोगी कंपनियों विस्तारा और एयर एशिया से भी पायलटों को लाने पर निर्भर है, जो 2024 तक मर्जर के बाद एक इकाई बनने वाली है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडिगो के एक रिप्रजेंटेटिव ने बताया कि वो एयरलाइन निर्माताओं से लगातार कॉन्टेक्ट कर रहे हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने फिलहाल अभी तक कुछ भी तय नहीं किया है. ऐसे में बोइंग कंपनी द्वारा इस मामले में कोई क्लियर जवाब नहीं दिया गया है.