नई दिल्ली: चाय हमारे दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है। आपके आसपास ऐसे कई लोग होंगे, जिनके दिन की शुरुआत ही चाय के कप के साथ ही होती है। चाय लोगों के जीवन का इतना अहम हिस्सा बन चुकी है कि अगर उन्हें समय से चाय न मिले, तो उनका किसी भी काम में मन तक नहीं लगता है। गर्मी हो या सर्दी चाय के शौकीन हर मौसम में इसे पीना पसंद करते हैं। भारत में चाय की इसी दीवानगी को देखते हुए हम से बहुत लोगों को यह लगता है कि चाय का इतिहास भारत से ही जुड़ा हुआ है। लेकिन असलियत इसके बिल्कुल विपरीत है। तो इंटरनेशनल टी डे को मौके पर जानते हैं चाय के दिलचस्प इतिहास के बारे में-
भारत में ऐसे हुई चाय की शुरुआत
दरअसल, बिट्रेन से आए अंग्रेज चाय को भारत लेकर आए थे। आपने कई बार यह कहावत सुनी होगी कि अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अंग्रेजी यहीं छोड़ गए। हालांकि, अंग्रेजी के अलावा वह चाय भी हमारे यहां छोड़ गए हैं। बात करें भारत में चाय के इतिहास की, तो देश में चाय की शुरुआत की कहानी काफी दिलचस्प है। साल 1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए, तो उन्होंने असम में कुछ लोगों को चाय की पत्तियों को उबालकर दवाई की तरह पीते हुए देखा। इसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को चाय की जानकारी दी और इस तरह भारत में चाय की शुरुआत हुई।
1835 में शुरू हुए चाय के बागान
इसके बाद साल 1835 में असम में चाय के बाग लगाए गए और फिर 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन की स्थापना की गई। इससे भारत ही नहीं, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भी चाय के उत्पादन को फैलाया गया। भारत में उगने वाली यह चाय अंग्रेजों की कमाई का एक अच्छा जरिया बन गई थी। वह भारत में उगाई गई चाय को विदेशों में भेजकर मोटी कमाई करते थे। ये तो हो गई भारत में चाय के इतिहास की बात, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सबसे पहले चाय की शुरुआत कहां और कैसे हुई थी। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके इतिहास के बारे में-
गलती से हुई चाय की खोज
बेहद कम लोग ही जानते होंगे कि चाय का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है। चाय का इतिहास चीन से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि 2732 बीसी में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज की थी। दरअसल, एक बार राजा के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई, जिसके बाद अचानक पानी की रंग बदलने लगा और पानी से अच्छी खुशबू आने लगी। जब राजा ने इस पानी को पिया तो उन्हें इसका स्वाद काफी पसंद आया है। साथ ही इसे पीते ही उन्हें ताजगी और ऊर्जा का अहसास है और इस तरह गलती से चाय की शुरुआत हुई, जिसे राजा ने चा.आ नाम दिया था।