लाहौर. पाकिस्तान (Pakistan) स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के उप प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की ने लाहौर की कोट लखपत जेल से एक वीडियो जारी किया है. मक्की ने इस वीडियो में कहा ‘मेरा मानना है कि मेरी लिस्टिंग का आधार भारत सरकार की गलत सूचना पर आधारित है. मैं ओसामा बिन लादेन, अयमान अल-जवाहिरी या अब्दुल्ला आजम से कभी नहीं मिला, लेकिन कुछ प्रचार रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है.’
मक्की ने अल-कायदा के विचारों और कार्यों की भी निंदा की और कहा कि अलकायदा जिस चीज में विश्वास करते है, मैं उसके बिल्कुल विपरीत हूं. उन्होंने यूएनएससी के फैसले पर खेद जताते हुए कहा, ‘इन लिस्टिंग के संबंध में न तो कोई उचित प्रक्रिया का पालन किया गया और न ही जानकारी दी गई.’ विशेष रूप से, मक्की सहित पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के लिए भारत के अथक प्रयासों को अंततः ‘वैश्विक आतंकवादी’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
भारत ने कुल पांच नाम प्रस्तुत किए थे
सूत्रों के अनुसार, भारत ने 2021-22 के दौरान अपने संयुक्त राष्ट्र कार्यकाल की सर्वोच्च प्राथमिकता पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की सूची बनाई थी. 2022 में 1267 के तहत पदनाम के लिए भारत द्वारा कुल पांच नाम प्रस्तुत किए गए थे: अब्दुल रहमान मक्की (एलईटी), अब्दुल रऊफ असगर (जैश-ए-मोहम्मद, जेईएम), साजिद मीर (एलईटी), शाहिद महमूद (एलईटी), और तलहा सईद (एलईटी).
भारत और अमेरिका ने पहले ही मक्की को आतंकी घोषित किया था
भारत और अमेरिका पहले ही मक्की को अपने घरेलू कानूनों के तहत आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कर चुके हैं. वह धन जुटाने, भर्ती करने और युवाओं को हिंसा के लिए कट्टरपंथी बनाने और भारत में, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में आतंकी हमलों की योजना बनाने में शामिल रहा है. मक्की ने लश्कर के भीतर विभिन्न भूमिकाएंं निभाई हैं, जो अमेरिका द्वारा नामित विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) है. लश्कर के संचालन के लिए धन जुटाने में भी वह भूमिका निभा रहा है. अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, 2020 में, एक पाकिस्तानी आतंकवाद-रोधी अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में मक्की को दोषी ठहराया और उसे जेल की सजा सुनाई.