नई दिल्ली. बहुचर्चित बिलकिस बानो केस के दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) 2 मई को अंतिम सुनवाई करेगा. कोर्ट में मंगलवार को गुजरात सरकार (Gujarat government) ने रिहाई से जुड़ी फाइल दिखाने के आदेश का विरोध किया. राज्य सरकार ने यह बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर ही रिहाई हुई है. इस मामले को लेकर पीड़िता बिलकिस बानो, सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को ये तय करने के लिए एक मई तक का समय दिया कि वो रिहाई से जुड़े दस्तावेज मांगने के आदेश पर पुनर्विचार अर्जी दाखिल करेंगे या नहीं. इस मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी. कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से अपराध किया गया वह भयानक है. उनमें से हर दोषी को 1000 दिन से अधिक का पैरोल मिला है जबकि एक आदमी 1500 दिन पैरोल पर रहा.
जनता की भलाई के लिए हो काम
कोर्ट ने कहा कि जब आप शक्ति का प्रयोग करते हैं तो उसे जनता की भलाई के लिए होना चाहिए. आप जो भी हों, आप कितने भी ऊंचे क्यों न हों, भले ही राज्य के पास विवेक हो? यह जनता की भलाई के लिए होना चाहि ए. यह एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- आप क्या संदेश दे रहे हैं?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा आज बिलकीस है कल कोई और हो सकता है. राज्य को समाज की भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए.