हाल ही में सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने जोशीमठ का अध्ययन कर 1200 घरों को हाई रिस्क जोन में रखा है। जिसके बाद अब लोगों को शिफ्ट करने की कार्रवाई तेज होने लगी है लेकिन समस्या ये है कि हाई रिस्क जोन में रह रहे लोग अपना घर नहीं छोड़ना चाहते हैं। कई लोगों को मुआवजा और विस्थापन राशि भी मिल चुकी है लेकिन जोशीमठ से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं।
जोशीमठ में दरार और भू धंसाव के बाद खतरा बरकरार है। जोशीमठ को लेकर तमाम तरह के अध्ययन हो रहे हैं। वैज्ञानिकों ने जोशीमठ को हाई रिस्क जोन, मिडिल रिस्क जोन और लो रिस्क जोन में बांटा है। जिसके बाद लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वहीं सरकारी अमला अपने विभागों को शिफ्ट करने में जुट गया है। इसके अलावा लोगों से भी शिफ्ट करने की अपील की जा रही है लेकिन जोशीमठ के आपदा प्रभावित अपने पैतृक घर नहीं छोड़ना चाहते हैं। दरअसल हाल ही में जोशीमठ में भू धंसाव को लेकर सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन रिपोर्ट शासन को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक 1200 घरों को हाई रिस्क जोन में रखा गया है। यानी जोशीमठ में 14 जगहों पर 1200 घर ऐसे हैं जो रहने के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। लिहाजा इस रिपोर्ट के बाद सरकारी विभागों और स्कूलों को भी शिफ्ट करने की बात हो रही है।
जोशीमठ नगर क्षेत्र में पिछले साल रेड जोन घोषित प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया था। साथ ही उन्हें मुआवजा राशि का भुगतान भी कर दिया गया लेकिन ये लोग अपने पैतृक घर छोड़ना ही नहीं चाहते हैं। ऐसे में अब उनके विद्युत और पानी के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। मनोहर बाग क्षेत्र में ऊर्जा निगम और पेयजल निगम ने 28 भवनों की विद्युत एवं पेयजल आपूर्ति बंद कर दी है। ताकि लोग इन भवनों को छोड़ें। तीन महीने पहले भी टीम बिजली और पानी के कनेक्शन काटने पहुंची थी लेकिन तब आपदा प्रभावितों ने उनका विरोध किया था। ऐसे में टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा। वही सरकार जोशीमठ के करीब 1200 घरों से लोगों को शिफ्ट करने की तैयारी कर रही है लेकिन पुनर्वास का मुआवजा लेने के बाद भी ग्रामीण अपने पैतृक मकान को छोड़ना नहीं चाहते हैं। वो अभी भी जान जोखिम में डालकर अपने आवासीय भवनों में रह रहे हैं। उनका साफ कहना है कि वो जोशीमठ नगर को छोड़कर कहीं दूसरे स्थान पर नहीं जाना चाहते हैं। गौर हो कि सरकार ने विस्थापन के लिए गौचर भूमि चयनित की हुई है। जोशीमठ से करीब 90 किमी दूरी गौचर के बमोथ में 26 हेक्टेयर भूमि आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए चयनित की गई है लेकिन आपदा प्रभावित परिवार गौचर नहीं जाना चाहते हैं। उनका कहना है कि यहां से पुनर्वास क्षेत्र की दूरी ज्यादा है। इसी तरह जोशीमठ से 15 किमी दूर ढांक में आपदा प्रभावितों के लिए बनाए गए 15 प्रीफैब्रिकेटेड हट भी धूल फांक रहे हैं। उनमें ग्रामीण निवास नहीं कर रहे हैं। ऐसे में रेड जोन में रह रहे लोगों को शिफ्ट करना शासन प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है।