दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर श्रीलंका में परियोजनाओं के लिए अडानी समूह के पक्ष में ”लॉबिंग” करने और कारोबारी समूह को इस महत्वपूर्ण पड़ोसी देश पर ”थोपने” का आरोप लगाया है।
बता दें कि हिंडनबर्ग 24 जनवरी को जारी एक एक रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर की कीमत में हेरफेर करने के आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद कंपनी के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। अदाणी समूह पर आरोप लगने के बाद विपक्षी पार्टी लगातार सरकार पर हमलावर रही है। वहीं दूसरी ओर अडानी समूह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह सभी कानूनों और नियामकीय निर्देशों का पालन करता है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी की ‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई सवाल पूछे थे। उन्होंने पहले मोदी से ‘बांग्लादेश की कीमत पर अडानी समूह को समृद्ध’ करने की ‘जल्दबाजी’ में पूछा था। अब उन्होंने सरकार से पूछा है कि क्यों एक कारोबारी समूह को एक अन्य महत्वपूर्ण पड़ोसी (श्रीलंका) पर थोपा जा रहा है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘संसद की कार्यवाही 13 मार्च को फिर से शुरू होगी। हम अपने विरोध को जारी रखने की तैयारी कर रहे हैं। ‘हम अदाणी के हैं कौन’-26 के तहत इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री से अब तक किए गए कुल सवालों की संख्या 78 हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत, जापान और श्रीलंका (तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व में) की सरकारों ने कोलंबो दक्षिण बंदरगाह में ईस्ट कंटेनर टर्मिनल विकसित करने के लिए 28 मई, 2019 को एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
उन्होंने कहा कि उसके एक साल बाद 9 जून 2020 को श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने एलान किया था कि विदेशी टर्मिनल ऑपरेटर के रूप में अडानी पोर्ट्स का चयन भारत ने किया है। उन्होंने कहा कि सौदे के अप्रत्याशित रूप से रद्द होने के बाद रजपक्षे सरकार ने बदले में कोलंबो का पश्चिम कंटेनर टर्मिनल भारत और जापान को 35 वर्षों के लिए सौंप दिया। इस समझौते को 30 सितंबर 2021 को अंतिम रूप दिया गया। इसके तहत इसका निर्माण, संचालन और लीज का हस्तांतरण किया जाना है।
रमेश ने कहा है कि श्रीलंकन कैबिनेट के प्रवक्ता के अनुसार अदाणी पोर्ट्स को पार्टनर के तौर पर भारत ने नामित किया था। श्रीलंका के विदेश मंत्री अली सबरी ने बताया था कि ये गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील थी। फिर भारत सरकार ने किस आधार पर इस डील के लिए अदाणी समूह का चयन या नामांकन किया गया। जयराम रमेश ने पूछा, “क्या भारत के किसी दूसरे फर्म को इस तरह का मौका उपलब्ध हुआ है, या फिर आपने सामान्य तौर पर ऐसे डील के लिए अपने करीबी दोस्त का नाम तय कर रखा है।