दिल्ली: भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में बहाने का एलान किया है। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे।
गंगा में मेडल विसर्जन का विरोध
गंगा सभा के अध्यक्ष नीतिक गौतम ने खिलाड़ियों के मेडल गंगा में विसर्जन करने का विरोध किया है। उन्होंने कि गंगा को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं।
हरि की पौड़ी पर खूब रोए पहलवान
गंगा में मेडल प्रवाहित करने से पहले हरि की पौड़ी पर पहलवान बैठकर कर खूब रोए। इस दौरान कुछ लोग उन्हें गमछे से हवा करते रहे। दूसरी तरह भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई।
#WATCH | "Our wrestlers were beaten up and tortured. I talked to wrestlers and extended our support to them. We are in solidarity with them," says West Bengal CM Mamata Banerjee
"…a person is accused of physical assault, why he is not being arrested? 'Puja-path' happens only… pic.twitter.com/YLuH56ZN21
— ANI (@ANI) May 30, 2023
इंडिया गेट पर धरने की इजाजत नहींः दिल्ली पुलिस सूत्र
पुलिस सूत्रों ने बताया कि आंदोलनरत पहलवानों को अपना धरना इंडिया गेट पर स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि राष्ट्रीय स्मारक प्रदर्शनों का स्थान नहीं है और उनके धरने के लिए वैकल्पिक स्थानों का सुझाव दिया जाएगा।
पहलवानों को कांग्रेस का समर्थन
आंदोलनकारी पहलवानों की समर्थन में काफी संख्या में कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता भी हरिद्वार पहुंचे हैं।
मेडल प्रवाहित करने हरिद्वार पहुंचे पहलवान
पहलवान अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार पहुंच गए हैं। विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया मेला नियंत्रण की तरफ से पैदल हर की पैड़ी की तरफ बढ़ रहे हैं।
पहलवानों को मिला ममता का साथ
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहलवानों के प्रदर्शन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा हुए कहा कि हमारे पहलवानों को पीटा गया और प्रताड़ित किया गया। मैंने पहलवानों से बात की और उन्हें अपना समर्थन दिया। हम उनके साथ एकजुटता में हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा एक व्यक्ति पर मारपीट का आरोप है, उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? पूजा-पाठ तभी होता है, जब इंसानियत की पूजा होती है…”
इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे
मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी। अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफेदी वाले तंत्र के साथ। हम आज शाम 6 बजे हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित कर देंगे। इस महान देश के हम सदा आभारी रहेंगे।
पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा
इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र।
शोषण के खिलाफ बोलें तो जेल में डालने की तैयारी कर लेता है तंत्र
इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां हैं, भारत के बेटियों की जगह कहां हैं, क्या हम सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई है। ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ अपना प्रचार करता है यह तेज सफ़ेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।
प्रधानमंत्री हमें अपने घर की बेटियां बताते थे
हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे, मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध-बुध नहीं ली। बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया और वह तेज सफेदी वाली चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी, मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं।
गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया
अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है, इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना। यह सवाल आया कि किसे लौटाएं. हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं, मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर बैठी देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं।
पूरा तंत्र हमें तोड़ने और डराने में लगा हुआ
अब लग रहा है कि क्यों जीते थे, क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करें, हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है।