हल्द्वानी बनभूलपुरा में 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण मामले की 7 अगस्त को सुनवाई होनी है। तारीख के नजदीक आते ही एक बार फिर बनभूलपुरा वासियों की धड़कनें तेज हैं और दुवाओं का दौर जारी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सोमवार को मामले पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आएगा या फिर रेलवे पिछली बार की तरह अगली तारीख मांगता है।
बता दें कि अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्टे लगा चुका है। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को न्यायमूर्ति संजय किशन कोल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष 7 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को कहा था कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के पिछले साल 20 दिसंबर के निर्देश पर रोक संबंधी उसका अंतरिम आदेश शीर्ष अदालत में याचिकाओं के लंबित रहने तक जारी रहेगा। उच्चतम न्यायालय ने 5 जनवरी को एक अंतरिम आदेश में 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने इसे ‘मानवीय मुद्दा’ करार दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि 50 हजार लोगों को रातों रात नहीं हटाया जा सकता है। रेलवे के मुताबिक, जमीन पर 4,365 परिवारों ने अतिक्रमण किया है। जमीन पर कब्जा रखने वाले परिवार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और दावा कर रहे थे कि जमीन के असली मालिक वह खुद हैं। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने सभी धर्मों के लोगों से अपील करते हुए कहा कि बनभूलपुरा, इन्द्रानगर, किदवई नगर में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने करीब साढ़े 4 हजार मकानों को तोड़ने का आदेश दिया था। जिसमें मकानों के साथ-साथ तमाम स्कूल, मंदिर, मस्जिद, मजार, धर्मशाला आदि भी हैं। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की गई थी। जिसमें हमें आप सब लोगों की दुआओं से स्टे मिल गया था। अब 7 अगस्त को सुनवाई होनी है। आप सब लोगों से गुजारिश है कि आप अपने -अपने ईश्वर, भगवान, वाहेगुरु से प्रार्थना करें कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला गरीबों के हक में आए। ताकि किसी की भी छत ना छिने, किसी का घर न टूटे।