देहरादून। उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल किस कदर बेहाल हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ईएसआई द्वारा रातों-रात सैकड़ों कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया। आदेश जारी होने के बाद आज अधिकांश जगहों पर मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर मरीजों की चिकित्सकों के साथ तनातनी भी देखने को मिली। इस दौरान मरीज उपचार के लिए इधर-उधर भटकते रहे। वहीं शासन द्वारा रातोंरात जारी आदेश के बाद हटाए गए कर्मचारियों में भी रोष देखने को मिला। कर्मचारियों का कहना था कि बिना सूचना दिए हटाने का फरमान सुना दिया गया। रुद्रपुर की बात करें तो यहां भी आज मरीजों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ा। खबरों की मानें तो आज सुबह जैसे ही ईएसआई में तैनात कर्मचारी काम पर पहुंचे तो आदेश की बात सुनकर वह भौचक्के रह गए। दिनभर मरीज इधर से उधर भटकते दिखाई दिए।
रुद्रपुर औषधालय की बात करे तो यहां मरीजों की पीड़ा काफी दयनीय देखने को मिली। जहां कोई सुबह 7 बजे से दवा के लिए खड़ा था तो कोई रेफर के लिए टकटकी लगाये कर्मचारीयों के खिड़की की तरफ देख रहा था। यहां मौजूद एक महिला ने बताया कि उसकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी है और रोजाना उसका डायलिसिस हो रहा है। उन्होंने बताया कि वो सुबह से ही रेफर की आश में खड़ी है लेकिन उन्हें निराश होकर वापस घर लौटना पड़ रहा है। ऐसे ही कई मरीज अपनी बीमारी के साथ औषधालय आये और तानाशाही फैसले के सामने लाचार होकर वापस हो गये।
आदेश पर जानकारी के लिए हमने विभाग की निदेशक दीप्ती सिंह से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन निदेशक ने फोन नही उठाया। वही सीएमओ आकाशदीप से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि ये आदेश शासन द्वारा दिया गया है। यही नही जब हमने उनसे पूछा कि इतना बड़ा फैसला बिना किसी नोटिस या आपको सज्ञान में लिए बिना कैसे लिया गया तो आकाशदीप के मुताबिक उन्हें इस आदेश के बारे में पहले से कोई जानकारी नही थी।
इस आदेश में नौकरी से हटाये गए आउटसोर्स और सीधे भर्ती द्वारा नियमित कर्मचारीयों के साथ राज्य के लाखों मरीज प्रभावित होंगे, बता दें कि यह विभाग सीएम धामी के पास है ऐसे में इस तरह का फैसला गरीब- लाचार मरीजों के लिए बेहद ही मुश्किल भरा हो सकता है.