नई दिल्ली. भारत में मौसम (Weather Update) ने जबरदस्त करवट बदली है. मई का महीना अपनी चिलचिलाती गर्मी के लिए जाना जाता है. अक्सर इस महीने लू चलता है और तपिश लोगों को बेहाल कर देती है. गर्मी से बचने लोग एसी-कूलर का सहारा लेते हैं. लेकिन इस साल दिल्ली-एनसीआर समेत कई इलाकों में मई के महीने में भी ठंड का एहसास किया जा रहा है. मैदानी इलाकों में बारिश हो रही है तो वहीं पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी. अब मौसम के बदलते मिजाज को देखकर यही सवाल उठता है कि मई के महीने में आखिर मौसम को यह क्या हो गया है?
दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही है. इस वजह से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. गुरुवार को दिल्ली में घना कोहरा नजर आया. मौसम ठंडा हो गया और तेज हवाएं चली. अमूमन देखा गया है कि मई के महीने में दिल्ली में तपती गर्मी लोगों को बेहाल करती है. लू जैसे हालात राजधानी में रहते है, लेकिन इस साल तस्वीर कुछ अलग है. दिल्ली में लगभग 40 साल बाद मई की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई. बुधवार रात न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था. तो वहीं बद्रीनाथ और केदानाथ में जमकर बर्फबारी हुई.
मौसम में होता है परिवर्तन
भारत मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेंद्र कुमार ने बताया, ‘यह पूरी तरह से असामान्य नहीं है, लेकिन बहुत आम भी नहीं है. ऐसा मौसम परिवर्तन कई सालों में एक बार होता है. एक एक्टिव पश्चिमी मिड एल्टिट्यूड वेदर सिस्टम था, जो बहुत तीव्र था. इसका प्रभाव मैदानी इलाकों में देखा गया था. लगातार हुई बारिश ने तापमान को काफी नीचे ला दिया है.’ दिल्ली रिज में मौसम वेधशाला ने बुधवार को मैदानी इलाकों में सबसे कम न्यूनतम तापमान 14.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है.
अल नीनो का असर
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार अल नीनो के कारण ऐसे मौसम में बदलाव देखे जाते है. अल नीनो आम तौर पर अप्रैल और मई के दौरान प्री-मानसून बारिश में एक बड़ा प्राकृतिक परिवर्तन लाता है. संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक अल नीनो जुलाई के अंत कर 60 फीसदी और सितंबर के अंत तक 80 फीसदी की आशंका के साथ उभर सकता है. इसका असर पूरी दुनिया के जलवायु और मौसम के पैटर्न पर होगा. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा था कि अल नीनो का असर मानसून के केवल सेकंड फेज पर ही हो सकता है.