नई दिल्ली। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने वैश्विक तापमान में संभावित वृद्धि की चेतावनी जारी की है। WMO के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा, ‘अगर हम अब अल नीनो चरण में प्रवेश करते हैं, तो इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होने की संभावना है।’ तालस ने कहा कि 21वीं सदी का पहला ट्रिपल डिप ला नीना खत्म होने वाला है। उन्होंने कहा कि ला नीना के प्रभाव ने बढ़ते वैश्विक तापमान पर एक अस्थायी ब्रेक लगा दिया था।
आईएमडी ने तापमान में वृद्धि के दिए संकेत
बता दें कि डब्ल्यूएमओ की चेतावनी जारी होने से पहले, आईएमडी ने मंगलवार को कहा था कि मार्च से मई तक भारत के अधिकांश हिस्सों में स्थिति गंभीर होने की संभावना है। आईएमडी ने मंगलवार को कहा कि फरवरी से अप्रैल तक ला नीना से ईएनएसओ (तटस्थ) होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ईएनएसओ-तटस्थ इस साल गर्मियों की शुरुआत में उत्तरी गोलार्ध में बना रहेगा। आईएमडी ने जून से अगस्त तक अल नीनो की स्थिति के करीब 50 प्रतिशत संभावना और जुलाई से सितंबर तक 60 प्रतिशत संभावना का संकेत दिया।
हीट एक्शन प्लान तैयार करने की सलाह
वहीं, विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को जल्द से जल्द हीट एक्शन प्लान विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा, ‘इस पूर्वानुमान को लेकर, राज्य सरकारों को तुरंत तैयारी करनी चाहिए। कुछ राज्य पहले ही ऐसा कर चुके हैं।’ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन ने कहा कि कमजोर आबादी पर गर्मी का घातक प्रभाव पड़ सकता है।
मार्च से मई तक अल नीनो की वापसी की संभावना
बता दें कि ईएनएसओ स्थितियों में अल नीनो की वापसी मार्च से मई तक होने की 90 प्रतिशत संभावना है, जो तय अवधि से पहले होगी। भविष्यवाणियों और डब्ल्यूएमओ विशेषज्ञों के आकलन के अनुसार, मई के बाद स्थितियों की संभावना थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन उच्च बनी हुई है। जून से अगस्त तक दीर्घ-प्रमुख पूर्वानुमान अल नीनो के विकसित होने की बहुत अधिक संभावना का संकेत देते हैं।
अल नीनो क्या है?
बता दें कि ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में हुए बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं। इस बदलाव की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से काफी अधिक हो जाता है। ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है।
ला नीना क्या है?
बता दें कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव बनने पर ये स्थिति बनती है। यह स्थिति उत्पन्न होने के अलग-अलग कारण बताए जाते हैं, लेकिन सबसे प्रचलित कारण ये तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। इसका सीधा असर वैश्विक तापमान पर पड़ता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है।