उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत के कम रहने से निर्वाचन आयोग चिंतित है तो राजनीतिक दल भी मतदान के इस ट्रेंड पर अपना राजनीतिक गुणा भाग करने में जुटे हुए हैं। खास बात यह है कि राजनीतिक दलों द्वारा विधानसभा और बूथ स्तर पर हुए मतदान का रिकॉर्ड मंगवाकर इसकी समीक्षा करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि राजनीतिक रूप से अभी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही मतदान प्रतिशत कम होने को अपने पक्ष में बताने के लिए नए तर्क दे रहे हैं।
उत्तराखंड में पांच सीटों पर हुए मतदान के आंकड़ों का गुणा भाग शुरू हो गया ह। राजनीतिक दल विभिन्न क्षेत्रों में हुई वोटिंग के आधार पर राजनीतिक आकलन निकालने में जुटे हुए हैं। वैसे तो राजनीतिक दल मतदान प्रतिशत के कम रहने को लेकर कुछ संशय में दिखाई दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद खुद की जीत पर दलों का भरोसा बरकरार है और इसके पीछे पार्टी नेता तर्क भी दे रहे हैं। राजनीतिक दलों के साथ ही आम लोगों को 4 जून को चुनावी परिणाम पता चलेंगे लेकिन परिणाम के आने से पहले परिणाम जानने के लिए राजनीतिक दलों का समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी इस मामले में कुछ आशंकित दिखाई देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी ने कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा तैयारी का दावा किया था और राज्य में 11000 से ज्यादा बूथों पर पन्ना प्रमुख अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने पक्ष में मतदान करवाने की बात कही थी।
उत्तराखंड के लिए चिंता की बात यह भी है कि पहले चरण के तहत हुए मतदान में 12 राज्यों की 102 सीटों के लिए लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें उत्तराखंड सबसे कम मतदान वाले राज्यों में शुमार हुआ है।12 राज्यों में बिहार में सबसे कम मतदान हुआ है यहां पर 48.88 प्रतिशत पोलिंग रही। सबसे कम मतदान वाले राज्य में दूसरे नंबर पर उत्तराखंड रहा। यहां पर 55.89 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं जब बात सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत रहने की है, तो लक्षद्वीप में लोगों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया है। यहां पर 83.88प्रतिशत पोलिंग रही। सबसे ज्यादा मतदान वाले राज्यों में दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल रहा, यहां पर 81.91प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद तीसरे नंबर पर त्रिपुरा राज्य है यहां पर 81.6 2 प्रतिशत मतदान हुआ। उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत कुल 55.89 प्रतिशत हुआ है इसमें सबसे ज्यादा मतदान हरिद्वार लोकसभा सीट पर हुआ है। यहां पर 62.36 प्रतिशत पोलिंग रही जबकि सबसे कम मतदान अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर रिकॉर्ड किया गया। यहां पर 46.94 प्रतिशत ही मतदान हुआ। इसके अलावा सबसे कम मतदान वाले लोकसभा में पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट भी है, यहां पर महज 50.84 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसके अलावा टिहरी लोकसभा सीट पर 52.57 प्रतिशतऔर नैनीताल लोकसभा सीट पर 61.35 प्रतिशत मतदान हुआ है।
अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर सल्ट, रानीखेत और अल्मोड़ा विधानसभा में सबसे कम मतदान हुआ है। यहां पर क्रमशः 32 प्रतिशत, 41.50 प्रतिशत और 44 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसी लोकसभा में सबसे ज्यादा मतदान चंपावत विधानसभा 56 प्रतिशत कपकोट 51.43 प्रतिशत और बागेश्वर में 51 प्रतिशत मतदान रहा। वहीं पौड़ी लोकसभा सीट में मतदान को लेकर सबसे खराब परफॉर्मेंस लैंसडाउन, चौबट्टाखाल और देवप्रयाग विधानसभा की रही। यहां पर क्रमश 40.1 0 प्रतिशत, 40.62 प्रतिशत और 41.78 प्रतिशत मतदान हुआ। गढ़वाल लोकसभा सीट पर रामनगर ने 61.60 प्रतिशत, कोटद्वार ने 58.5 0 प्रतिशत और केदारनाथ ने 56.70 प्रतिशत मतदान के साथ सबसे बेहतर परिणाम दिए. हरिद्वार लोकसभा सीट में ऋषिकेश में 51.80 प्रतिशत धर्मपुर में भी 51.80 प्रतिशत और हरिद्वार विधानसभा में 54.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि इस लोकसभा में सबसे कम प्रतिशत रहा, जबकि हरिद्वार लोकसभा सीट पर हरिद्वार ग्रामीण में 73.21 प्रतिशत लक्सर में 72 प्रतिशत और पिरान कलियर में 70.01 प्रतिशत मत पड़े।
नैनीताल लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा मत प्रतिशत सितारगंज विधानसभा में रहा। यहां 70.15% मत पड़े। इसके अलावा गदरपुर में 67.92 प्रतिशत और नानकमत्ता में 65.71% मत पड़े। लोकसभा में सबसे फिसड्डी विधानसभा नैनीताल रही, क्योंकि यहां पर 51.67% मतदान हुआ। इसके बाद भीमताल में भी महज़ 55.50% और काशीपुर में 56.70 प्रतिशत मतदान हुआ। टिहरी लोकसभा सीट को लेकर मतदान की स्थिति देखें तो यहां पर ओवरऑल 52.5 7 प्रतिशत मतदान हुआ है। जिसमें सबसे कम मतदान घनसाली, प्रताप नगर और टिहरी विधानसभा में हुआ. घनसाली में 41.5, प्रताप नगर 41.65% और टिहरी में 44.16 प्रतिशत ही मतदान हुआ। उधर इस लोकसभा में सबसे ज्यादा मतदान विकास नगर में 64.60 प्रतिशत रहा,जबकि सहसपुर में 62.12% और पुरोला में 57.5 0% मतदान हुआ। हरिद्वार लोकसभा सीट पर 62.36 फीसदी मतदान हुआ है। हरिद्वार लोकसभा सीट अंतर्गत धर्मपुर और ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 51.80 फीसदी मतदान हुआ है। इसके अलावा भगवानपुर विधानसभा सीट पर 69.58 फीसदी, भेल रानीपुर विधानसभा सीट पर 60 फीसदी, धर्मपुर विधानसभा सीट पर 51.80 फीसदी, डोईवाला विधानसभा सीट पर 57.45 फीसदी, हरिद्वार विधानसभा सीट पर 54.84 फीसदी, हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर 73.21 फीसदी, झबरेड़ा विधानसभा सीट पर 67 फ़ीसदी, ज्वालापुर विधानसभा सीट पर 69.50 फीसदी, खानपुर विधानसभा सीट पर 68.45 फीसदी, लक्सर विधानसभा सीट पर 72 फीसदी, मंगलौर विधानसभा सीट पर 63.20 फीसदी, पिरान कलियर विधानसभा सीट पर 70.01 फीसदी, ऋषिकेश विधानसभा सीट पर 51.80 फीसदी और रुड़की विधानसभा सीट पर 59.40 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया है।
उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत कम रहने के बाद किन-किन क्षेत्रों में मतदान कम हुआ है. इस पर भी आकलन किया जा रहा है। जिन क्षेत्रों को भाजपा का गढ़ माना जाता है. वहां पर मतदान प्रतिशत कम रहने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी को इसका खासा नुकसान होना माना जा रहा है। उत्तराखंड में भाजपा ने राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। राम मंदिर को लेकर जो उत्सव भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देश में मनाया है। उसमें उत्तराखंड भी उन राज्यों में शुमार है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी को इस बार चुनाव में इसका बेहद ज्यादा लाभ होने की बात कही जा रही थी और मतदान प्रतिशत में भी बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 75 प्रतिशत मतदान करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अपने लक्ष्य से कोसों दूर निर्वाचन आयोग लोगों को मतदान केंद्रों तक लाने में असफल साबित हुआ। हालांकि इसके लिए कई वजह बताई गई हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जागरूकता कार्यक्रम कामयाब नहीं हो पाए और लोग मतदान करने के लिए आगे नहीं आए।